भारत के 99+ प्रसिद्ध मंदिर | Famous Temples of India in Hindi

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भारत एक धार्मिक देश है, जो भारतीय सभ्यता,संस्कृति, इतिहास, को इमारतों, महलों, धार्मिक स्थलों, और एकता इत्यादि द्वारा भारत को दर्शाया गया। है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, प्रत्येक व्यक्ति को अपने अपने धर्म का पालन करने और उसे मनाने का आजादी प्राप्त है। देश के हर कोने में आपको किसी भी धर्म का पूजा स्थल मिल जाएगा। हिंदुओं के पूजा स्थल को “मंदिर” कहते हैं। भारत के कई मंदिर का निर्माण शैलियों द्वारा बनाए गए है, यही कारण है कि कुछ मंदिरों को भारत के प्रमुख मंदिरों का नाम दिया गया है। इन मंदिरों की वास्तुकला यहां आने वाले पर्यटको और दर्शकों को आकर्षित करती हैं, और लोग दूर-दूर से यहां देवी देवताओं की पूजा करने के लिए आते हैं। इस लेख में हम आपको भारत के प्रमुख मंदिरों , उनके स्थानों और उनके संस्थापकों  के बारे में पूरी जानकारी दी जा रही है। 

Temples of India In Hindi

भारत के प्रमुख मंदिर (Temples of India In Hindi)

Table of Contents

वैष्णो देवी मंदिर (Vaishno Devi Temple)

वैष्णो देवी मंदिर जम्मू कश्मीर के कटरा राज्य में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा गुलाब सिंह ने 1846 में करवाया था। इनके प्रमुख देवता महाकाली, महासरस्वती, और महालक्ष्मी है। यह एक पवित्र गुफा मंदिर है, जो त्रिकुटा पहाड़ियों में समुद्रतल से 15 किमी की ऊंचाई पर स्थित है। यह भारत के कुछ मुख्य और सर्वाधिक देखे जाने वाले तीर्थस्थलों में से एक है। इस मंदिर को “माता रानी” के नाम से भी जाना जाता है।

अमरनाथ मंदिर (Amarnath Temple)

अमरनाथ मंदिर जम्मू कश्मीर के पहलगाम राज्य में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। अमरनाथ की गुफा यहां का मुख्य आकर्षण केंद्र है जो श्रीनगर से, 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर को “तीर्थों का तीर्थ” कहा जाता है, और “स्वयंभू हिमानी शिवलिंग” के नाम से भी जाना जाता है। 

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple )

काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी राज्य में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1780 में इंदौर की अहिल्या बाई होलकर ने करवाया था, जो 5200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो शुद्ध सोने के द्वारा बनवाया गया था। यह पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है, और ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का दर्शन करने और पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भगवान श्री राम मंदिर (Lord Shri Ram Temple)

यह मंदिर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित है, जिसकी ऊंचाई 161 फिट है। इस मंदिर का पुणः निर्माण कार्य, और भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 5 अगस्त 2020 से शुरू किया गया था। इस मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी लार्सन एंड टूब्रो (L&T) कंपनी को दी गई है। कहा जाता है कि इस मंदिर के मुख्य वास्तुकार (Chief Architect) चंद्रकांत सोमपुरा है, जो अपने दो बेटों की सहायता से इस मंदिर का निर्माण करवाया था। राम मंदिर को “राम जन्मभूमि” के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि, इस मंदिर की दर्शन करने से सुख (Pleasure) और समृद्धि (Prosperity) आती है, और भगवान राम की कृपा आपके ऊपर बनी रहती है।

स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर (Swami Akshardham Temple)

यह मंदिर नई दिल्ली में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण प्रमुख स्वामी महाराज ने नवंबर 2005 में बनवाया था। इसकी ऊंचाई 141 फीट, चौड़ाई 316 फीट और गहराई 356 फीट है। यह मंदिर भारत का सबसे विशाल मंदिर है, और सबसे बड़ा व्यापक हिंदू मंदिर के रूप में पूरे विश्व में “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” (Guinness Book of World Records)में शामिल किया गया है। इस मंदिर का निर्माण राजस्थानी गुलाबी बलुआ और इतालवी करारा संगमरमर का उपयोग करके किया गया है जिसमें 234 से अधिक चित्रकला स्तंभो, 20 चतुष्कोण यह मीनारों,9 गुंबदो और धर्म संबंधों 20000 मूर्तियों के साथ, यह भारत की संस्कृति और अध्यात्मिक समृद्धि (spiritual prosperity) का प्रतीक है।

लोटस मंदिर (Lotus Temple)

यह दिल्ली में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1986 में बहाई धर्म के संस्थापक बहा उल्लाह ने कराया था। यह पर्शियन आर्किटेक्ट फरबज सहबा द्वारा बनाए गए हैं। इसकी ऊंचाई 40 मीटर है। ये मंदिर अपने आप में एक अनोखा मंदिर है, जो अपनी खूबसूरत फूल जैसी वास्तुकला और अद्भुत माहौल के लिए जाना जाता है। यह एक ऐसा मंदिर है जिसमे न कोई मूर्ति है और न ही किसी  प्रकार का धार्मिक कर्म किए गए हैं। इसे “बहाई मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है। लोटस टेंपल दुनिया की सबसे खूबसूरत धार्मिक इमारतों में से एक है, जहां सभी धर्म के लोग शांति और सुकून प्राप्त करने के लिए यहां आते है।

स्वर्ण मंदिर (Golden Temple)

यह पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है। इसकी लंबाई 125 फीट चौड़ाई 70 फीट ऊंचाई 90 फीट है। यह मंदिर सिख धर्म का सबसे पवित्र मंदिर है। 1830 में महाराणा रंजीत सिंह द्वारा संगमरमर और सोने के साथ पुनः बनवाया गया था। सोने से बने होने के कारण इस मंदिर का नाम “स्वर्ण मंदिर” रखा गया, इसे “हरमंदिर साहिब” के नाम से भी जाना जाता है। स्वर्ण  मंदिर के आसपास सरोवर तालाब होने के कारण इसकी बहुत मान्यता है। और कहा जाता है कि यहां स्नान करने से व्यक्ति की सारी बीमारी दूर हो जाती है। यह मंदिर सिख धर्म का सबसे प्रमुख धर्म स्थल है।

दक्षिणेश्वर काली मंदिर (Dakshineswar kali Temple)

यह मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुगली नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1855 में, “नवरत्न शैली” से निर्मित, रानी रश्मोनी द्वारा बनवाया  गया था। यह मंदिर लगभग 40 वर्ग फुट के क्षेत्र में बनाया गया है। इसकी मुख्य देवी भावतारिणी है। मां काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध और भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों मे से सबसे प्राचीन माना जाता है।

बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Temple)

बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली में स्थित है। 19वी शताब्दी में शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था, जिसकी ऊंचाई 3100 मीटर है। यह मंदिर विष्णु देव को समर्पित है। इस मंदिर को तीन संरचनाएं है: गर्भगृह, दर्शन मंडप, और सभा मंडप है। इस मंदिर को बद्रीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इसके चार धाम होते है ( four holy place) : बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री,यमुनोत्री।

केदारनाथ मंदिर (kedarnath Temple    

केदारनाथ मंदिर उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग में स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई 50 फीट, 887 फीट चौड़ाई है। आठवीं शताब्दी में पांडवों के वंशज जनमेजय ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण पत्थरों से बने  कत्यूरी शैली से किया गया है।

गंगोत्री मंदिर (Gangotri Temple)

यह उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी में स्थित है।  इस मंदिर का निर्माण 18वी शतबादी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा किया गया था। यह 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वर्तमान में इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा बनाया गया था । इसके प्रमुख देवता देवी गंगा है, जो को पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है की चक्रवाती राजा भागीरथ ने यहां पर भगवान शंकर की  प्रचंड तपस्या की थी, और देवी गंगा ने इस स्थान पर धरती का स्पर्श किया था। साथ ही ये भी मानना है, की महाभारत के युद्ध में पांडवों भी मारे गए और अपने परिजनों की शांति के लिए यहां पर महान देव यज्ञ करवाया गया था।

यमुनोत्री मंदिर (Yamunotri Temple)

यह मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित है।1919 में इस मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने करवाया था। इसका पुनर्निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वी  शताब्दी  में बनवाया था।, जो 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थितहै। यमुनोत्री मंदिर में यमुना देवी  की पूजा की जाती है।

ज्वालामुखी मंदिर (Jwalamukhi Temple)

यह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है। इस मंदिर का प्रथम निर्माण भूमि चंद ने करवाया था, और इसका पुनर्निर्माण 1835 में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसार चंद द्वारा किया गया है। यह मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है, जिसका श्रेय पांडवों को जाता है। मंदिर के अंदर माता को 9 ज्योतियाँ है, और माता के दर्शन ज्योति के रुप में होते है। लोगो का ऐसा मान्यता है की, देवी सती की जीभ यहां गिरी थी, जिसे “ज्वाला देवी मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है।

बाबा बालकनाथ मंदिर (Baba Balaknath Temple)

यह हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सन 1953 में, श्री लेगराम जी महाराज द्वारा किया गया था। इस मंदिर मे महिला के प्रवेश पर प्रतिबंधित है, मंदिर के कुछ दूर पर ही एक ऊंचा चबूतरा बनाया गया है, जहां से महिलाएं उनके दर्शन कर सकती है।

हिडिंबा देवी मंदिर (Hadimba Devi Temple)

यह हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थित एक मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 1553 में राजा बहादुर सिंह ने करवाया था। यह मंदिर 24 मीटर लंबा लकड़ी का मीनार है, जो देवदार की जंगलों से घिरा हुआ है। यह मंदिर हिडिंबा देवी को समर्पित है।  यहां  ढूंगरी मेला मई महीने में हर साल लगता है। इस मंदिर को पैगोडा शैली में बनाया गया है।

मणिकरण मंदिर (Manikaran Temple)

यह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है। इसका निर्माण 1650 में जगत सिंह ने करवाया था, जिसकी ऊंचाई 1756 मीटर है। इस मंदिर के बाहर गर्म पानी के झरनों के कारण पर्यटकों को आकर्षित करती है।

मरकंडेश्वर महादेव मंदिर (Markandeshwar Mahadev Temple)

यह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिन्होंने मार्कण्डेय की रक्षा की, वो पवित्र स्थान मार्कण्डेय के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण ऋषि मार्कण्डेय ने करवाया था। इस मंदिर का नाम मारकंडेश्वर महादेव मंदिर रखा गया। इस मंदिर के शिवलिंग पर चंदन से श्रीराम का नाम लिख कर बेल पत्र चढ़ाया जाता है, ताकि लोगों की बड़ी से बड़ी मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो सके। और ये भी मानना है की पूजा करने से व्यक्ति की अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। इस मंदिर की दी गई जानकारियां धार्मिक धारणा और लोक मान्यताओं पर आधारित है।

दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Temple)

यह मंदिर राजस्थान के माउंट आबू में है। यह मंदिर दो भाइयों वास्तुपाल और तेजपाल द्वारा, 1231 में  बनावाया गया था। इसकी ऊंचाई 8 फीट और चौड़ाई 8.8 फीट है। यह पांच मंदिरों का एक समूह है, जो संगमरमर का बना हुआ है। यहां वास्तुशिल्प की सादगी है, जो जैन मूल्यों जैसे ईमानदारी को दर्शाता है। 

बिरला मंदिर (Birla Temple)

यह मंदिर राजस्थान के जयपुर में स्थित है। इसका निर्माण 1988 में बीएम बिड़ला फाउंडेशन द्वारा  सफेद संगमरमर से बनाया गया था। यहां एक ओर लक्ष्मी नारायण और दूसरी ओर भगवान गणेश की आकर्षक मूर्ति शामिल है, जो पत्थरों से बनी हुई है।

करणी माता मंदिर (Karni Mata Temple)

यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने, 15वी से 20वी शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर में 25000 चूहा है, एवं चूहे का दर्शन मंगलकारी माना जाता है। मंदिर के द्वार पर संगमरमर पर नक्काशी, चांदी के दरवाजे, सोने छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए लोग यहां आते है। इसलिए इस मंदिर को “चूहों का मंदिर” भी कहा जाता है।

सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple)

यह गुजरात के वेरावल में स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 155 फीट है। त्रिगवेद के अनुसार इसका निर्माण चंद्रदेव सोमराज ने स्वयं किया था। इस मंदिर का निर्माण 6 बार टूटना के बाद 7वी बार 1950 ने सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा कैलाश महामेरु प्रसाद शैली में बनाया गया, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में से पहला माना जाता है।

मीनाक्षी मंदिर (Meenakshi Temple)

यह तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित है, जिसका निर्माण राजा कुलशेखर पांडियन द्वारा करवाया गया था। इसका निर्माण वर्ष 1623 से 1655 के बीच हुआ। इस मंदिर में भगवान शिव की पत्नी मीनाक्षी दोनो की पूजा की जाती है, जिसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई 160 फीट है, जिसमे 12 प्रवेशद्वार है, सभी प्रवेशद्वार लगभग 40 मीटर ऊंचा है, 985 स्तंभ और 24 टावर है। 

बृहदेश्वर मंदिर (Brihadeeswara Temple)

यह तमिलनाडु राज्य के तंजावुर में स्थित है, जिसका निर्माण चोल शासक प्रथम राजराज ने 1003 से 1010 ईसवी के बीच प्रसिद्ध वास्तुकार समा वर्मा द्वारा तैयार की गई थी। इस मंदिर को बनाने में 15 साल लगे, जिसे यूनेस्को ने विश्व विरासत स्मारक घोषित किया है। इसकी विशेषता यह की मंदिर की छाया दिन में कभी धरती पे नही पड़ती। इस मंदिर को “राजराजेश्वरम मंदिर” और “पेरूवुटैयार कोविल” भी कहते है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

नटराज मंदिर (Natraj Temple)

यह मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित एक शैव मंदिरो में से एक है, जो 40 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मंदिर का निर्माण विक्रम चोल ने बनाया था, और इसका पुनर्निर्माण पल्लव राजा सिंहवरम ने किया था। यह मंदिर भगवान शिव और भगवान पेरूमल को समर्पित है।

शोर मंदिर (Shore Temple)

यह तमिलनाडु के महाबलीपुरम में स्थित है। इसका निर्माण पल्लव राजा नरसिंहवर्मन ने 7 वी शताब्दी के दौरान बनवाया था। इसकी ऊंचाई 60 फीट है, जो पिरामिड आकार जैसा है।

खजुराहो मंदिर (Khajuraho Temple)

यह मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में है, जो 25 किलोमीटर में फैले हुए है। इसका निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा 900 से 1130 के बीच बनाया गया था। इस मंदिर में हिंदू धर्म के कई देवी देवताओं की पूजा की जाती है, और मूर्तियों की ऊंचाई 2.5 फीट से 3 फीट तक है। यह जैन मंदिरों का भी एक संग्रह है।

महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple)

यह मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। इसका निर्माण मराठा रणजी शिंदे ने करवाया था, जिसे 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल किया गया है। यहां को मूर्ति दक्षिणमुखी होने के कारण दक्षिणामूर्ति मानी जाती है। इस मंदिर में ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति स्थापित है, और नागचंद्रेश्वर की मूर्ति है, जो केवल नागपंचमी के दिन खुली होती है। लोगों का ऐसा मान्यता है कि इसके दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बैधनाथ मंदिर (Baidyanath Temple)

यह झारखंड राज्य के देवघर में स्थित है, जो को शिव का अत्यंत पवित्र मंदिर है। इसका पुनर्निर्माण  1596 में राजा पूरनमल द्वारा किया गया था। यह एक तीर्थस्थल है। यहां पे भगवान शिव ने एक डॉक्टर के रूप में रावण का इलाज किया था, उन्हे वैध के रूप में जाना जाता है। इसलिए इस मंदिर का निर्माण “बैधनाथ धाम” के नाम से भी जाना जाता है, जो 51 शक्ति पीठों और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह श्रवण मेला के लिए प्रसिद्ध है। 

जगन्नाथपुरी मंदिर (Jagannath Temple)

यह मंदिर ओडिशा शहर के पूरी में स्थित है। इसकी ऊंचाई 214 फीट है, और 4 लाख फीट में फैला हुआ है। इस मंदिर का निर्माण कलिंग राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने किया था। यह मंदिर भारत के चार धामों में से एक और विष्णु के 8 वे अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर के गुम्बद की छाया दिन में नहीं पड़ता है। इस मंदिर के ऊपर लगा झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। नीलचक्र की उपस्तिथि के कारण पक्षी या विमान इस मंदिर के आस पास भी उड़ते हुए नही दिखेंगे। यह सिर्फ हिंदुस्तान के लिए नही, बल्कि पूरे विश्व के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर को सफेद पैगोडा भी कहते है।

कोणार्क सूर्य मंदिर (Sun Temple)

यह मंदिर ओडिशा शहर के कोणार्क में स्थित है। 13वी शताब्दी(1238 से 1264) में राजा नरसिंह देव प्रथम द्वारा रथ के आकार में  इसका निर्माण किया गया था, को सूर्य देव को ही समर्पित है। इसकी ऊंचाई 8.3 फीट है। इस मंदिर में पूजा नही की जाती है, क्योंकि सूर्य देवता की मूर्ति खंडित हो जाने के कारण हटा दी गई है, और खंडित मूर्ति की पूजा करना हिंदू शास्त्रों के अनुसार वर्जित है। इस मंदिर को ब्लैक पैगोडा भी कहते है।

कामाख्या मंदिर (kamakhya Temple)

गुवाहाटी असम में नीलाचल पहाड़ियों पर कामाख्या मंदिर देवी, कामाख्या को समर्पित तांत्रिक साधनाओं के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित केंद्रों में से एक है। पवित्र शक्तिपीठों में गिने जाने वाले इस मंदिर को वो स्थान माना जाता है, जहां देवी का गर्भ गिरा था। इसे 8वी और 17वी शताब्दी के बीच कई बार बनाया गया था, और यह अपने आप में एक शानदार मंदिर है। यहां हर साल अंबाबुची का मेला लगता है।

उमानंद मंदिर (Umananda Temple)

उमानांद मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच मयूर दीप पर स्तिथ एक शिव मंदिर है। इसे विश्व में सबसे छोटे बसे हुए नदी द्वीप के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 1694 में अहोम राजा स्वर्गदेव गदाधर ने करवाया था। यह मंदिर भारत में शक्ति के सबसे सम्मानित मंदिरों में से एक है।

उग्रतारा मंदिर (Ugratara Temple)

यह असम के गुवाहाटी शहर में स्थित है। इसका निर्माण 16वी शताब्दी से पूर्व ही टोरी राजा द्वारा निर्माण कराया गया था। यहां कोई वास्तविक मूर्ति न होने का कारण, पूजा नही की जाती है। यहां पानी की एक छोटी से खाई है जिसे उग्रतरा का महान रूप माना जाता है, और इनका आशीर्वाद प्राप्त करने और भक्ति  दिखाने के लिए भेंट चढ़ते है।

नवग्रह मंदिर ( Navagraha Temple)

यह गुवाहाटी के चित्रांचल पहाड़ी में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण काल 2002 में प्रारंभ किया गया था, और 2003 में सरस्वती पूजा के दिन मंदिर का दरवाजा खोल दिया जाता है,   जहां दूर दूर से लोग दर्शन के लिए आते थे। यह एक ऐसी मंदिर है, जहां मकर सक्रांति पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गुम्बद से होते हुए भगवान सूर्य की मूर्ति पर पड़ती है।

महाबोधी मंदिर (Mahabodhi Temple)

यह मंदिर बिहार के बोधगया में स्थितएक बौद्ध धरोहर स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 7वी शताब्दी में सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था, इसका पुनर्निर्माण  ग्रेनाइट पत्थरों द्वारा 5वी या 6वी शताब्दी के दौरान निर्मित किया गया था। इसके  दीवार की ऊंचाई 11 मीटर है। यह वो जगह है, जहां गौतम बुद्ध ने पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति की थी, इसलिए इसे “ज्ञान की नगरी” भी कहा जाता है। यह मंदिर बौद्ध धर्म के लिए चार पवित्र स्थलों में से एक है।

मुंडेश्वरी देवी मंदिर (Mundeshwari Devi Temple)

यह मंदिर बिहार के कैमूर जिले में स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 600 फीट है। इसका निर्माण उदय सेन नामक छत्रप के शासन काल में हुआ। इस मंदिर का निर्माण काल 635 से 639 ईसवी में बताया गया, इसका पुनर्निर्माण 1915 के बाद से एक संरक्षित स्मारक है। इस मंदिर में पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है, जो अष्टकोणीय आकार का है। दुर्गा का वैष्णवी रूप ही मॉं मुंडेश्वरी के रूप में यहां नियुक्त किया हूआ है।

सुंदरी मंदिर (Sundari Temple)

यह मंदिर त्रिपुरा राज्य के माताबड़ी में स्थित है। इसका निर्माण 1501 ईसवी के दौरान महाराजा धन्या माणिक्य देबबर्मा द्वारा किया गया था। यहां सुंदरी देवी की पूजा की जाती है, जो धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की देवी है। इस मंदिर के आसपास तीन दुर्ग थे: शक्तिपुरी,शिवपुरी, और विष्णुपुरी इन तीन पूरियों के स्थितहोने के कारण देवी का नाम सुंदरी देवी पड़ा, जिसे “देवी त्रिपुरेश्वरी” के नाम से भी जाना जाता है।

उनाकोटी गुफा मंदिर (Unakoti Temple)

यह त्रिपुरा के उनाकोटी जिले में स्थित है। जिनका निर्माण पाल वंश के राजकाल में 7वी से 9वी शताब्दी के बीच हुआ, यहां भगवान शिव की मूर्तियां समर्पित है। यह एक ऐसा मंदिर है जहां 9999999 पत्थरों की मूर्तियां है,एवं इसका निर्माण कल्लू नामक एक कुम्हार ने किया था, ताकि वो शिव पार्वती के साथ पर्वत कैलाश जा सके। यहां भगवान शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियां है, इतनी अधिक मूर्तियां होने के कारण यह स्थान प्रसिद्ध है।

भोरमदेव मंदिर (Bhoramdev Temple)

यह मंदिर छत्तीसगढ़ के चौरागांव में स्थित है। यह 7वी से 11वी शताब्दी में लक्ष्मण देव रानी और गोपाल देव के द्वारा निर्माण किया गया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, गोंड आदिवासी भगवान शिव की पूजा करते थे, जिन्हे वे भोरमदेव कहते थे, इसलिए इस मंदिर को भोरमदेव के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से खजोरहो मंदिर की झलक दिखाई पड़ती है।

महामाया मंदिर (Mahamaya Temple)

यह छत्तीसगढ़ के रतनपुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण काल 12वी से 13वी शताब्दी तक माना जाता है, जो विक्रम संवत द्वारा बनवाई गई है। इस मंदिर में भगवान सती के अंग और आभूषण की पूजा की जाती है एवं यह मंदिर देवी महामाया को समर्पित है। यहां सालोभार भक्तों का श्रृंखला लगा रहता है,लेकिन इस मंदिर के लिए नवरात्रों में मुख्य उत्सव, विशेष पूजा अर्चना और देवी के अभिषेक का आयोजन किया जाता है।

दंतेश्वरी मंदिर (Danteshwari Temple)

यह छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 850 में अन्नमदेव ने कराया था, जो देश का 52वां  शक्तिपीठ माना जाता है। यहां दंतेश्वरी देवी की पूजा की जाती है। इस मंदिर में देवी सती का दांत गिरा था, इसलिए मंदिर का नाम दंतेश्वरी मंदिर रखा गया।

कालीबारी मंदिर (Kalibari Temple)

यह नगालैंड राज्य के दीमापुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1956 में, जेसी दास और एम एम मजूमदार के साथ उनके कुछ भक्त द्वारा किया गया था। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है। इस मंदिर में दशहरा त्योहार बड़े धोमधाम से मनाया जाता है। 2006 में इसकी 50वी वर्षगांठ एंबुलेंस सेवा और पुस्तकाल्य जैसी विभिन्न सामुदायिक सेवाओं के साथ प्रारंभ किया गया।

किराॅंतेश्वर महादेव मंदिर (kirateshwar Mahadev Temple)

यह मंदिर सिक्किम के लेगशिप नगर में स्थित है, एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है। इस मंदिर में भगवान शिव को पूजा की जाती है एवं इस राज्य का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर का बहुत महत्व है, क्योंकि यह परंपरागत कथा को बरकरार रखता है, एवं भगवान शिव और महाभारत से जुड़ी कई कहानियां मंदिर को शामिल करती  है। इस मंदिर में बाल चतुर्दशी और शिवरात्रि के त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है, इसलिए यह मंदिर लोगो का एक मुख्य आकर्षक केंद्र है।

नार्तियांग दुर्गा मंदिर (Nartiang Durga Temple)

यह मेघालय के पश्चिम ज्यातियां में स्थित है, जो 600 वर्ष पुराना हिंदू मंदिर का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह मंदिर दुर्गा को समर्पित है, जो 51 शक्ति पीठों में से एक है। इस मंदिर में बहुत कम लोग जा पाते है। इस मंदिर को दंतेश्वरी और ज्यांतेश्वरी शक्तिपीठ भी कहा जाता है।

वीरूपाक्ष मंदिर (Virupaksha Temple)

यह कर्नाटक के हंपी में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाह देवी द्वारा बनाया गया था, जो भगवान शिव को समर्पित है। 15वी शताब्दी में इस मंदिर को स्थापना हुई थी। इस मंदिर को पंपापटी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर ईट तथा चुने से बने है।

गोमतेश्वर मंदिर (Gomateshwar Temple)

यह मंदिर कर्नाटक राज्य के श्रवणबेलगोला में स्थितएक जैन तीर्थस्थल है। इसका निर्माण गंगा मंत्री और सेनापति चामुंडराय ने 982 से 983 के बीच करवाया था। इस मंदिर की ऊंचाई 57 फीट है। यहां प्रथम तीर्थकार भगवान ऋषभदेव के पुत्र बाहुबली ने मोक्ष प्राप्त किया था, जिसके कारण ये मंदिर श्रवणबेलगोला का एक पवित्र स्थान है।

मुरुदेश्वर मंदिर (Murudeshwar Temple)

यह कर्नाटक राज्य के मुरुदेश्वर में स्थित है, जिसका निर्माण 1609 से 1640 के बीच हुआ, एवं इसकी स्थापना का श्रेय रानी चेन्नभारादेवी (काली मिर्च की रानी) को जाता है, जो 3 ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है। इस मंदिर में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे विश्व को दूसरी सबसे विशाल और ऊंची शिव मूर्ति माना जाता है।

सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple)

यह केरल राज्य के पेरियार में स्थित एक 800 साल पुराना मंदिर है। इसका निर्माण अय्यप्पा स्वामी द्वारा बनाया गया था, जो 18 पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस मंदिर की दर्शन करने के लिए लोग पहले 41 दिन तक व्रत रखते है। यहां 10 से 50 वर्ष की महिलाओं का प्रवेश करना निषेध है, क्योंकि मासिक धर्म के समय वो शुद्धता बनाए नही रख सकती जिस वजह से उनका इस मंदिर में प्रवेश करना वर्जित है।

पद्मनाभ स्वामी मंदिर (Padmanabha Swamy Temple)

यह मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित एक धार्मिक स्थलों में से एक है। इसका पुनर्निर्माण महाराजा मार्तड वर्मा ने 1733ईस्वी ने करवाया था। पौराणिक कथा के अनुसार लोगो की मान्यता है, की इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी इसलिए इस स्थान pr इस मंदिर का निर्माण किया गया है। इसे भारत का “दिव्य देसम” भी कहते है। 

List of Temple in India in Hindi

मंदिरों के नामराज्यों के नाम
वैष्णो देवी मंदिर जम्मू कश्मीर 
अमरनाथ मंदिर जम्मू कश्मीर 
काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश 
भगवान श्री राम मंदिरअयोध्या 
स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिरनई दिल्ली
लोटस मंदिरदिल्ली 
स्वर्ण मंदिरअमृतसर 
दक्षिणेश्वर काली मंदिरकोलकाता 
बद्रीनाथ मंदिरउत्तराखंड 
केदारनाथ मंदिरउत्तराखण्ड
अग्नि मंदिरकोलकाता
यमुनोत्री मंदिरउत्तराखंड
ज्वालामुखी मंदिरहिमाचल प्रदेश 
बाबा बालकनाथ मंदिरहिमाचल प्रदेश 
श्री महावीर मंदिरपटना
मणिकरण मंदिरहिमाचल प्रदेश 
मरकंडेश्वर महादेव मंदिरहरियाणा 
दिलवाड़ा जैन मंदिरराजस्थान 
बिरला मंदिरराजस्थान 
करणी माता मंदिरराजस्थान 
सोमनाथ मंदिरगुजरात 
मीनाक्षी मंदिरतमिलनाडु 
बृहदेश्वर मंदिरतमिलनाडु 
वादककुन्नाथन  मंदिरकेरल
शोर मंदिरतमिलनाडु 
खजुराहो मंदिरमध्यप्रदेश 
महाकालेश्वर मंदिरमध्यप्रदेश 
बैधनाथ मंदिरझारखंड 
जगन्नाथपुरी मंदिरओडिशा 
कोणार्क सूर्य मंदिरमंदिर 
कामाख्यादेवी मंदिरअसम 
उमानंद मंदिरअसम 
उग्रतारा मंदिरअसम 
नवग्रह मंदिरगुवाहाटी 
महाबोधी मंदिरबिहार 
मुंडेश्वरी देवी मंदिरबिहार 
सुंदरी मंदिरत्रिपुरा 
उनाकोटी गुफा मंदिरत्रिपुरा 
भोरमदेव मंदिरछत्तीसगढ़ 
संघी मंदिरतेलंगाना
दंतेश्वरी मंदिरछत्तीसगढ़ 
कालीबारी मंदिरनगालैंड 
किराॅंतेश्वर महादेव मंदिरसिक्किम 
नार्तियांग दुर्गा मंदिरमेघालय 
वीरूपाक्ष मंदिरकर्नाटक 
गोमतेश्वर मंदिरकर्नाटक 
मुरुदेश्वर मंदिरकर्नाटक 
सबरीमाला मंदिरकेरल 
पद्मनाभ स्वामी मंदिरकेरल 
इस्कॉन मंदिरपटना
चिदंबरम मंदिरतमिलनाडु
योगमाया मंदिरदिल्ली
कालकाजी मंदिरदिल्ली
राजरानी मंदिरभुबनेश्वर
गायत्री मंदिरहिमाचल प्रदेश
हजार राम मंदिरकर्नाटक
प्रेम मंदिरउत्तर प्रदेश
चेन्नाकेशव मंदिरकर्नाटक
दुवारकाधीश मंदिरगुजरात 
बहुचरा माता मंदिरगुजरात 
त्रिबकेश्वर मंदिरमहाराष्ट्र 
शिर्डी साईं बाबा मंदिरमहाराष्ट्र 
अंबाजी मंदिरगुजरात
सिद्धिविनायक मंदिरमहाराष्ट्र 
विठोबा मंदिरमहाराष्ट्र 
रुद्रेश्वर स्वामी मंदिरतेलंगाना 
मणिमहेश मंदिरहिमाचल प्रदेश 
शिव मंदिरजमुई 
शक्ति देवी मंदिरहिमाचल प्रदेश 
चरणताला मंदिरमेघालय
वशिष्ठ मंदिरहिमाचल प्रदेश 
जामलू मंदिरहिमाचल प्रदेश 
ब्रह्मा मंदिरराजस्थान
भूतनाथ मंदिरहिमाचल प्रदेश 
रामप्पा मंदिरतेलंगाना 
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिरआंध्र प्रदेश 
हनुमान मंदिरमेघालय
अंबिका माता मंदिरराजस्थान
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिरआंध्र प्रदेश 
वीरभद्र मंदिरआंध्र प्रदेश 
सहस्त्रबाहु मंदिरमध्य प्रदेश
लिंगराज मंदिरओडिशा
मालीनिथान/ आकाशगंगा मंदिरअरुणाचल प्रदेश
मुरूगन मंदिर तमिलनाडु
रंगनाथ स्वामी मंदिरतमिलनाडु
पटनेश्वर मंदिरजमुई
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FAQ

Q. तिरुपति मंदिर कहां स्थित है, और किस नाम से जाना जाता है?

Ans: यह आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुमाला में स्थित है। इस मंदिर को “वेंकटेश्वरा स्वामी मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है।

Q. खजूराहों मंदिर का निर्माण किसने और कहां करवाया था?

Ans: इसका निर्माण चंदेल वंश के राजाओं द्वारा 10वी और 11वी शताब्दी में करवाया गया था।

Q. किस मंदिर को “सफेद पैगोडा” और “ब्लैक पैगोडा” के नाम से भी जाना जाता है?

Ans: जगन्नाथ मंदिर को “सफेद पैगोडा” और सूर्य मंदिर को “ब्लैक पैगोडा” के नाम से भी जाना जाता है।

Q. सबरीमाला मंदिर में किस भगवान की मूर्ति है?

Ans: सबरीमाला मंदिर में भगवान अय्यप्पन की मूर्ति है

Q. अक्षरधाम मंदिर किसने बनवाया था?

Ans: अक्षरधाम मंदिर बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा बनाया गया था।

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