भारत के प्रमुख दर्रे और ट्रिक | Mountain Passes of India in Hindi [Trick]

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भारत में सबसे अधिक दर्रे पाए जाते है दर्रे वे होते है जो 2 पर्वतों के मध्य स्थान, जो नीचे दब गया हो। पर्वतों और पहाड़ों के बीच पाए जाने वाले प्राकृतिक मार्ग को “दर्रा”(Pass) कहा जाता है। यह एक ऐसा प्राकृतिक मार्ग है, जिससे होकर पहाड़ों की सीमा पार की जाती है। ये दर्रे भूकंप, ज्वालामुखी, ज़मीन का खिसकना और ज़्यादातर पहाड़ों से नदी बहने की वजह से दर्रे का निर्माण होता है। एक दर्रा तब बनता है, जब कोई हिमनद या जलधारा अपरदन करती है, दर्रे अक्सर लोगों को खड़ी पर्वत श्रृंखलाओं में यात्रा करने के लिए सबसे आसान मार्ग प्रदान करते है। इस कारण से, उन्होंने पूरे मानव इतिहास में प्रवासन, व्यापार, और निपटान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत में कुल 21 प्रमुख दर्रे है, जिनके बारे में नीचे पूरे विस्तार से बताई गई है।

Mountain Passes of India in Hindi
दर्रे के नामराज्य के नाम
माना दर्राउत्तराखंड
लिपुलेख दर्राउत्तराखंड
नीति दर्राउत्तराखंड
काराकोरम दर्राजम्मू कश्मीर
जोजिला दर्राजम्मू कश्मीर
बनिहाल दर्राजम्मू कश्मीर 
पीर पंजाल दर्राजम्मू कश्मीर 
बुर्जिला दर्राजम्मू कश्मीर
शिपकिला दर्राहिमाचल प्रदेश
रोहतांग दर्राहिमाचल प्रदेश
बारालाचा दर्राहिमाचल प्रदेश
दीफू दर्राअरुणाचल प्रदेश
यांगयाप दर्राअरुणाचल प्रदेश
बोमिडला दर्राअरुणाचल प्रदेश
तुजू दर्रामणिपुर
नाथुला दर्रासिक्किम
जैलेप ला दर्रासिक्किम
शेनकोट्टा दर्राकेरल
पालघाट दर्राकेरल
भोर घाटमहाराष्ट्र 
थाल घाटमहाराष्ट्र

भारत के प्रमुख दर्रे

Table of Contents

काराकोरम दर्रा (karakoram pass)

यह भारत के जम्मू कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र के काराकोरम में स्तिथ है, जिसकी ऊंचाई 5654 मीटर है, और भारत की सबसे ऊंचा दर्रा है। यह दर्रा यार कंद और तारिम बेसिन की ओर जाता है। इस दर्रे की अत्यधिक ऊंचाई होने के कारण यहां लोग आना जाना पसंद नही करते थे, यहां पर वनस्पति भी नही उगाई जाती थी और यहां से गुजरते वाले बहुत से जानवर भी दम तोड़ देते थे। लोगो का ऐसा मान्यता है की ये दर्रा चढ़ने के लिए कठिन नही माना जाता है। यहां तापमान काफी कम रहने के कारण और तेज हवाएं चलने के कारण बर्फ नही जम पाती है। लेकिन कभी कभी बर्फबारी होती रहती है। बर्फ न जमने के कारण ये दर्रे सालोभर प्रयोग में लाया जा सकता है। ये दर्रे भारत, चीन और मध्य एशिया के बीच रेशम मार्ग का एक समृद्ध व्यापार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब यह दर्रे भारत और चीन के आपसी तनाव के कारण यहां आना वर्जित है।

जोजिला दर्रा (Zojila Pass)

यह लद्दाख के कारगिल जिले में स्थित 3528 मीटर का एक दर्रा जिसका निर्माण सिंधु नदी द्वारा हुआ है। यह दर्रा श्रीनगर को कारगिल और लेह की ओर ले जाता है। शीत ऋतु में अधिक बर्फ पड़ने के कारण यह दर्रा बंद रहता है।

बुर्जिल दर्रा (Burzil Pass)

जम्मू कश्मीर में स्तिथ हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है, जिसकी ऊंचाई 4100 मीटर है। यह श्रीनगर को गिलगिट से मिलाता है, एवं कश्मीर और मध्य एशिया के बीच का आने जाने का एक मार्ग है।

पीर पंजाल दर्रा (Pir Panjal Pass)

यह जम्मू कश्मीर के पीर पंजाल श्रीखला में स्तिथ है जो 3485 मीटर की ऊंचाई का पर स्थित है। यह जम्मू कश्मीर से श्रीनगर के लिए एक आने जाने का मार्ग है, जो विभाजन के बाद इस मार्ग को बंद कर दिया गया था। इस दर्रे से कोठी जाने का मार्ग मिलता है।

बनिहाल दर्रा (Banihal Pass)

यह जम्मू कश्मीर राज्य में स्तिथ है जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई 2832 मीटर है। इस दर्रे का नया नाम जवाहर सुरंग है, जो भारत की सबसे लंबी सुरंग जिसकी लंबाई 2.85 किमी है। यह दर्रे कश्मीर घाटी को बाहरी हिमालय और दक्षिण में मैदानी इलाकों को जोड़ता है।

शिपकिला दर्रा ( Shipki La Pass)

यह हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थिति है, जिसकी ऊंचाई समुद्रतल से 4300 मीटर है। यह दर्रे शिमला को तिब्बत से जोड़ता है। इस दर्रे से सतलुज नदी प्रवेश करती है, एवं शीत ऋतु में अधिक बर्फ ढके होने के कारण यहां लोगो का आना जाना कुछ समय के लिए बाधित रहता है। अधिकतर व्यापार चीन और भारत के बीच इसी दर्रे से होता है, जो भारत का तीसरा दर्रा राजमार्ग 22 है।

रोहतांग दर्रा (Rohtang La pass)

यह हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू घाटी और लाहौल स्पीति घाटियों के बीच समुद्र तल से 3980 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है। यह दर्रे मनाली को लेह से जोड़ता है। सड़क पर अधिक बर्फबारी के कारण, सीमा सड़क संगठन द्वारा इस दर्रे की सड़को को बंद कर दिया गया है, जो पर्यटकों के पसंदीदा आकर्षणों में से एक था।

बारालाचा दर्रा (Bara Lacha La Pass)

यह हिमाचल प्रदेश के लाहौल में स्तिथ है। जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 4845 मीटर है, जो लाहौर क्षेत्र को लद्दाख के लेह से जोड़ता है। इस दर्रे से चंद्रा नदी निकलती है। यह उच्च ऊंचाई वाले मोटर योग्य पहाड़ी दर्रों में से एक है।

माना दर्रा (Mana Pass)

यह उत्तराखंड राज्य के हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है जो भारत और चीन की सीमा पर स्तिथ है। इसकी समुद्रतल से ऊंचाई 5545 मीटर है। यह दर्रा NH – 58 का अंतिम किनारा है, जो माना गांव (उत्तराखंड) को तिब्बत से भी जोड़ती है। इस दर्रा को “माना ला चिरबितया” और “डूंगरी ला” भी कहा गया है।

नीति दर्रा (Niti Pass)

यह उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्तिथ एक दर्रा है, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 5068 मीटर है। यह दर्रा उत्तराखंड से मानसरोवर और कैलाश पर्वत जाने के लिए मार्ग देता है एवं भारत को तिब्बत से जोड़ता है।

लिपुलेख दर्रा (Lipulekh Pass)

यह उत्तराखंड और तिब्बत की सीमा पर स्तिथ एक दर्रा है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 5334 मीटर है। लिपुलेख दर्रा 1992 में चीन के साथ व्यापार के लिए खोला जाने वाला पहला भारतीय सीमा चौकी है। इसका उपयोग प्राचीन व्यापारियों, भिक्षको और नेपाल  एवं तिब्बत के बीच यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों द्वारा किया जाता रहा है। जहां यह उत्तराखंड और नेपाल को तिब्बत के पुराने व्यापारिक शहर तकलाकोट से जोड़ता है। वर्तमान में ये दर्रे हर साल जून से सितंबर तक सीमा पार करने, व्यापार के लिए खुला रहता है। यह कैलाश मानसरोवर यात्रा का प्राचीन मार्ग भी है।

नाथुला दर्रा (Nathu La Pass)

नाथुला दर्रा सिक्किम जिले में स्तिथ है, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 4310 मीटर है। यह दर्रा सिक्किम को चीन के तिब्बत क्षेत्र से जोड़ता है। 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध होने का कारण बंद कर दिया गया था। इसे 4 जुलाई 2006 में व्यापार के लिए खोल दिया गया है, इसके खुलने से भारतीय व्यापार एवं बौद्ध और हिंदू तीर्थस्थलों के बीच की दूरी कम हो गई है। इस प्रकार यह अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहां तापमान होने के कारण गर्मियों में पर्यटको के लिए एक मुख्य आकर्षण केंद्र है, जो केवल भारतीय पर्यटकों के लिए है, विदेशी पर्यटकों के लिए यहां आने की अनुमति नहीं है।

जौलेप्ला दर्रा (Jelep La Pass)

भारतीय राज्य सिक्किम और चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की सीमा पर स्तिथ है, जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई 4270 मीटर है। यह एक ऐसा मार्ग है, जो लहासा को भारत से जोड़ता है। यह दर्रे अक्सर ब्रिटिश राज के दौरान भारत और तिब्बत के बीच व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जाता था, जिसमे कालिंपोंग संपर्क बिंदु के रूप में काम करता था। जेलेपा ला शब्द तिब्बती की उत्पत्ति है और इसका अर्थ  “लवली लेवल पास” होता है। यह सिक्किम और तिब्बत के बीच के सभी दर्रे में सबसे ऊंचा स्तर है 1962 में चीन और भारतीय युद्ध के बाद इस दर्रे को अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया था।

बोमिडला दर्रा (Bomidla Pass)

यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश में स्तिथ है, जिसके ऊंचाई समुद्रतल से 2217 मीटर है। यह दर्रे तिब्बत के लहासा को और भारत के तवांग जिलों को जोड़ता है। वर्तमान में ये दर्रे अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच एक व्यापारिक बिंदु के रूप में कार्य करता है। यह चीन और भारत के सुरक्षा बलो के लिए एक सहमत सीमा व्यक्तिगत बैठक बिंदु भी है। बोमिडला दर्रे 1962 के चीन – भारतीय युद्ध में हुई सबसे भीषण लड़ाई में से एक थी। 1906 में ये दर्रे पहली भी व्यापारियों के लिए खोला गया। दर्रे के दोनो किनारों के व्यापारियों को प्रत्येक देश के डाक कर्मचारियों के अलावा, एक दूसरे के प्रदेशों में प्रवेश करने की अनुमति थी। यहां अक्सर सालोभर बर्फ की बमबारी होती है। यह दुनिया का सबसे अलग दर्रे है।

यांग्याप दर्रा (Yangyap Pass)

यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश में स्तिथ है, यह दर्रे जो भारत चीन सीमा पर 3962 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है एवं अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से जोड़ता है। ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में मानसरोवर झील से निकलती है। नदियां यांग्याप दर्रे से होकर भारत में प्रवेश करती है। अरुणाचल प्रदेश में इसे “दिलंग” कहा जाता है। यांग्यान चीन के दो सबसे महत्वपूर्ण पश्चिमी दर्रा में से एक था, दूसरा यूमेंगुआन था। चीनी भाषा में यांग का अर्थ “सूर्य” होता है। यांग्यान इसलिए नाम दिया गया था क्योंकि यह यूमेंगुआन दर्रे के दक्षिण में स्तिथ है। यह सिल्क रोड पर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। हालांकि यांगगुआन का किला लगभग 900 ईस्वी तक बर्बाद हो गया था।

दिफू दर्रा (Diphu Pass)

यह अरुणाचल प्रदेश में स्तिथ है, जिसकी ऊंचाई  4587 मीटर है। दिफु दर्रा भारत, चीन और म्यांमार की विवादित बिंदु सीमा के क्षेत्र के चारो ओर एक पहाड़ी दर्रा है, जो अरुणाचल प्रदेश और म्यांमार को जोड़ता है।

पालघाट दर्रा (Palghat Pass)

यह दर्रा केरल में स्तिथ है जिसकी ऊंचाई समुद्रतल से 300 मीटर है। केरल – तमिलनाडु सीमा इन दो राज्यों के बीच एक प्रमुख संचार के रूप में कार्य करती है। यह कोची से चेन्नई के बीच आंतरिक संचार जोड़ने की सुविधा प्रदान करती है। यह नीलगिरी पहाड़ियों और अनैमालई पहाड़ियों के बीच स्तिथ है। यह तमिलनाडु में कोयंबटूर और केरला में पलक्कड़ को जोड़ने वाला एक पहाड़ी दर्रा है। पालघाट गैप दक्षिणी भारत की जलवायु को भी प्रभावित करती  है, गीले दक्षिण पूर्व मानसून के साथ साथ बंगाल की खाड़ी से आने वाले तूफान पहाड़ों के माध्यम से प्रवेश करती है

शेनकोट्टा दर्रा ( Shencottah Pass)

यह दर्रा केरल में स्तिथ है, जिसका समुद्रतल से ऊंचाई 210 मीटर है। यह तमिलनाडु के मदुरै शहर को केरला के कोट्टायम जिले से जोड़ता है। पश्चिमी घाट में दूसरा सबसे बड़ा गैप जो शहर से 5 किमी की दूरी पर है, जिसे शेनकोटा गैप के नाम से जाना जाता है। इस गैप से सड़क, रेल लाइनें गुजरती है, जो शेनकोट्टा को पुनालुर से जोड़ती है।

तुजू दर्रा (Tuju Pass)

यह दर्रा  मणिपुर में स्तिथ है। इंफाल से म्यांमार तक की सड़क इसके बीच से गुजरती है।

भोर घाट दर्रा (Bhor Ghat Pass)

यह दर्रा महाराष्ट्र में स्तिथ है जिसका समुद्रतल से ऊंचाई 548 मीटर की एक दर्रा है। यह खोपोलियांड और खंडाला के बीच स्तिथ है, जो पुणे और मुंबई के बीच को जोड़ने का मार्ग प्रदान करती है। यह सह्याद्री श्रेणी का प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। यह राज्य के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह घाट सदियों से दो क्षेत्रों के बीच एक प्रवेश द्वार और व्यापार मार्ग रहा है, और आज यह भारत के सबसे व्यस्त मार्गो में से एक है।

थाल घाट दर्रा ( Thal Ghat Pass)

यह दर्रा महाराष्ट्र में स्तिथ है, जिसकी ऊंचाई 585 मीटर है। यह मुंबई को नासिक से जोड़ता है। यह पश्चिमी घाट की सह्याद्री श्रेणी का प्रसिद्ध पर्वतीय दर्रा है। दर्रे को कसारा घाट भी कहते है।

दर्रे के नाम याद रखने के ट्रिक (Trick To Remember Passes of India)

बुका पीर जो बनी जमूरे

बु बुर्जील दर्रा
का काराकोरम दर्रा
पीर पिरपंजाल दर्रा
जो जोजिला दर्रा
बनीबनिहाल दर्रा
जमुरेजम्मू कश्मीर में स्तिथ

शिरोब हिमाचल

शि शिपकी ला दर्रा
रो रोहतांग दर्रा
ब बड़ालाचा दर्रा 
हिमाचलहिमाचल प्रदेश में स्तिथ

उत्तरी मालिनी

उत्तरीउत्तराखंड में स्तिथ
मा माना दर्रा
लि लिपुलेख दर्रा
नी नीति दर्रा

सी जैन

सी सिक्किम में स्तिथ
जैजैलेपा दर्रा
न नाथू ला दर्रा

अरुणा यदि बो 

अरुणाअरुणाचल प्रदेश में स्तिथ
यांगदाप दर्रा
दि दीफू दर्रा
बो बोमडिला दर्रा

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FAQ

Q. बनिहाल दर्रा को क्या नाम दिया गया है?      

Ans: बनिहाल दर्रा को जवाहर सुरंग नाम दिया गया है

Q. भारत को चीन को कौन सा दर्रा जोड़ता है?

Ans: नाथूला दर्रा भारत को चीन से जोड़ता है।

Q. भारत का सबसे बड़ा और सबसे छोटा दर्रा कौन सा है?

Ans: भारत का सबसे बड़ा “काराकोरम दर्रा” और सबसे छोटा “बनिहाल दर्रा” है।

Q. लेह और कारगिल को कौन सा दर्रा जोड़ता है?

Ans: लेह और कारगिल को बनिहाल दर्रा जोड़ता है।

Q. भारत का सबसे बड़ा दर्रा कौन सा है?

Ans: भारत का सबसे बड़ा काराकोरम दर्रा है।

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