भारत के प्रमुख उद्योग | Major Industries In India Hindi

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उद्योग एक ऐसी जगह है, जहां मानव के सारी जरूरतों के समान को बनाया जाता है। उद्योग में मशीनों और मजदूरों द्वारा कच्चे माल से वस्तुएं तैयार की जाती है। वर्तमान में मजदूरों से ज्यादा उद्योगों में मशीनें पाई जाती है, जिसके माध्यम से कम समय में कच्चे माल को पक्के माल में बदल दिया जाता है। यह एक कारोबारी/व्यापारी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से विभिन्न चरणों में वस्तुओं को तैयार कर बाज़ार में बेचा जाता है। जिससे लोगों के रहन सहन या मानव की जरूरतों के श्रेणी में सुधार आते है।

अर्थव्यवस्था में उद्योगों का बहुत महत्व है। यदि उद्योगों से उत्पादन में विकास होता है तो मानव के आय में भी विकास होता है। यह लोगों के सामाजिक, आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करती है। नए नए तकनीक का उपयोग कर, औधोगीकरण उत्पादक क्षमता बढ़ा कर, रोजगार देना, संसाधन उपयोग बढ़ा कर इत्यादि में यह आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Major Industries In India Hindi
उद्योग का नाम स्थापना वर्ष राज्य के नाम 
प्रथम लौह इस्पात उद्योग 1874पश्चिम बंगाल 
सूती वस्त्र की प्रथम मिल18188कोलकाता
प्रथम पटसन उद्योग 1855कोलकाता
प्रथम एल्युमिनियम उद्योग1937पश्चिम बंगाल
प्रथम चीनी मिल 1903बिहार 
सीमेंट बनाने का प्रथम कारखाना 1904मद्रास

भारत के प्रमुख उद्योग (Industries In India)

लौह एवं इस्पात उद्योग (Iron & Steel Industry)

यह उद्योग पूरे विश्व की जननी है। भारत विश्व का चौथा इस्पात उत्पादक देश है, जिसकी स्थापना 1907 में जमशेदजी टाटा द्वारा झारखंड राज्य में साकची नमक स्थान पर किया गया था। लौह इस्पात उद्योग को देश के आर्थिक विकास की धुरी माना जाता है। भारत का 20% इस्पात यही से उत्पादित होता है। यह उद्योग औधोगिक विकास की रीढ़ है। कच्चे माल जैसे लौह अयस्क, मैंगनीज, चुना पत्थर, सिलिका, क्रोमेट, फेल्डसपार, स्क्रैप आयरन फ्लक्स और ईंधन को ब्लास्ट फर्नेस में गला कर रिफाइन किया जाता है, जिससे इस्पात उत्पादन होता है भारत के प्रमुख इस्पात कारखानों के नाम:-

  • राउरकेला इस्पात संयंत्र : इसकी स्थापना 1954 में जर्मनी की मदद से  ब्राह्मणी नदी के पास ओडिसा के सुंदरगढ़ जगह पर हुई थी। इस कारखाने में कच्चा लोहा और इस्पात का निर्माण होता है। राउरकेला को ओडिशा का इस्पात नगर और स्टील शहर भी कहा गया है।
  • भिलाई इस्पात कारखाना : इस कारखाना की स्थापना 1955 में रूस की सहयोग से छत्तीसगढ़ में की गई थी।
  • दुर्गापुर इस्पात कारखाना: इस कारखाना की स्थापना 1956 में ब्रिटेन द्वारा पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में की गई थी।
  • बोकारो लौह इस्पात कारखाना:  इस कारखाना की स्थापना 1968 से 1974 तक झारखंड के बोकारो में रूस की मदद से किया गया था।
  • सेलम इस्पात कारखाना : यह कारखाना जापान की मदद से तमिलनाडु के सेलम में की गई थी।
  • विजयनगर इस्पात उद्योग : विजयनगर इस्पात कारखाना की स्थापना 1993 में कर्नाटक राज्य के बेलारी जिले में हुआ था। 
  • विशाखापत्तनम इस्पात उद्योग :  इस कारखाना की स्थापना 1971 में आंध्रप्रदेश में किया गया था, जिसे वाईजाग स्टील के नाम से जाना जाता है।

एल्यूमीनियम उद्योग (Aluminium Industry)

इसका निर्माण बॉक्साइट की कच्ची धातु से किया जाता है। यह एक रासायनिक पदार्थ है, जो की अधिक मात्रा में पाई  जाने वाली धातु है। एल्यूमीनियम का अयस्क बॉक्साइट, डायस्पोर, फेल्डस्पर, मायका, क्रेयोलाइट है। मुख्यतः बॉक्साइट से ही निर्माण किया जाता है। बॉक्साइट एल्यूमीनियम ऑक्साइड, आयरन ऑक्साइड इत्यादि अशुद्धियों से मिलकर बना होता है। बेयर प्रक्रिया के द्वारा अशुद्धियों को दूर कर विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध एल्यूमीनियम प्राप्त किया जाता है। एल्यूमीनियम धातु बहुत ही हल्का होता है, इसलिए इसका उपयोग हवाई जहाज के हिस्सों / पुर्जों को बनाने में किया जाता है। इसका उपयोग डिब्बे, रसोई की बर्तन, खिड़की के फ्रेम, पावर प्लांट इत्यादि में भी उपयोग किया जाता है।

  • भारत का पहला एल्यूमीनियम कारखाना आसनसोल के जे.के. नगर में “एल्यूमीनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया” के नाम से 1937 में स्थापित  किया गया था।
  • भारत का दूसरा एल्यूमीनियम कारखाना झारखंड के मुरी, पश्चिम बंगाल के बेलूर, कर्नाटक के अलवाय, ओडिसा के हीराकुंड में “इंडियन एल्यूमीनियम लिमिटेड” के नाम से 1938 में स्थापित की गई ।
  • भारत का तीसरा एल्यूमीनियम कारखाना उत्तरप्रदेश के रेणुकूट में ” हिंदुस्तान एल्यूमीनियम कॉरपोरेशन” (हिंडाल्को) के नाम से 1958 में अमेरिका के सहयोग से स्थापित किया गया था।
  • भारत का चौथा एल्यूमीनियम कारखाना तमिलनाडु के मैटूर में “मद्रास एल्यूमिनियम कारखाना”(मालको)के नाम से इटली की मदद से स्थापित किया गया था।

सीमेंट उद्योग (Cement Industry)

भारत में 1904 में चेन्नई में पहला कारखाना खोला गया, जो असफल रहा। गुजरात के पोरबंदर में 1912-1913 के दशक में “इंडियन सीमेंट कारखाना लिमिटेड” द्वारा स्थापित किया गया, और 1914 में उत्पादन शुरू हो गया। सीमेंट की उत्पादन बढ़ाने के लिए 1934 में “एसोसिएट सीमेंट कारखाना लिमिटेड” की स्थापना की गई। सीमेंट का अयस्क चुना, पत्थर, जिप्सम और कोयला है। इसे भरी मात्रा में कच्चे माल का उपयोग कर सीमेंट का निर्माण किया जाता है। सीमेंट का कारखाना कच्चे माल के क्षेत्र के निकट स्थापित कि जाती है ताकि ढुलाई के अधिक खर्चे बच सके। इसका उपयोग भारी मात्रा में किया जाता है जैसे, दीवार पर प्लास्टर, बाइंडर करने के लिए, छत बनाने के लिए, भवन का निर्माण इत्यादि जैसे अनेक चीजों के  निर्माण के लिए किया जाता है। भारत के सीमेंट उत्पादक राज्य  मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, बिहार, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक आदि। भारत में अनेक सीमेंट कंपनियां है जैसे, अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड, अंबुजा सीमेंट लिमिटेड, बिरला सीमेंट लिमिटेड, जेके सीमेंट लिमिटेड, बिनानी सीमेंट, एसीसी सीमेंट, रामको सीमेंट, श्री सीमेंट लिमिटेड, डालमिया सीमेंट, इंडिया सीमेंट लिमिटेड। 

कोयला उद्योग (Coal Industry)

कोयला की शुरुआत रानीगंज कोलफील्ड में 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी के मैसर्स सुमनेर और हीटली द्वारा किया गया था। यह एक ठोस कार्बनिक तत्व है, जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है, एवं उद्योगों का विकास इसी पर निर्भर करता है। कोयला का महत्व उद्योगों में बहुत अधिक है। भारत में अधिक मात्रा में लिग्नाइट कोयला पाया जाता है। रानीगंज, झरिया, बोकारो इत्यादि भारत के प्रमुख कोयला क्षेत्र है। आज के युग में कोयला कारखाना का कार्य चलाना और रोकथाम सामान्य क्षेत्र की दो प्रमुख संस्थाएं करती है। कोयले के उत्पादन का लगभग 86% पर नियंत्रण “कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी” का है। इसके अंतर्गत 7 कंपनियां कार्य करती है। “सिंगरैनी कोलारिज कारखाना लिमिटेड” आंध्र प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है, जिन्हों ने इस कंपनी का आयोजन किया। गोंडवाना कोयला और टर्शियरी कोयला क्षेत्र भारत में दो कोयला क्षेत्र है।

  • गोंडवाना कोयला क्षेत्र : भारत में 98% कोयला गोंडवाना क्षेत्र से ही प्राप्त होता है। इसके अंतर्गत पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश कोयला उत्पाद राज्य है। गोंडवाना क्षेत्र से एंथ्रेसाइट और बिटुमिनस किस्म के कोयले प्राप्त होते है।
  • टर्शियरी कोयला क्षेत्र: इस क्षेत्र से 2% कोयला प्राप्त होता है। इसके अंतर्गत जम्मू कश्मीर, राजस्थान, ओडिसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश कोयला उत्पादक राज्य है। यहां से लिग्नाइट कोयला प्राप्त किया जाता है, जिसे “भूरा कोयला” के नाम से जाना जाता है।

पेट्रोलियम उद्योग (Petroleum Industry)

यह एक प्राकृतिक गैस है। यह पृथ्वी के निचली सतह के बीच पाए जाने वाले काले रंग का गाढ़ा तैलीय द्रव है। इसकी अधिक महत्व होने के कारण इसे “काला सोना” भी कहा गया है। इस उद्योग का महत्व का अनुमान इसकी मांग और पूर्ति के अनुसार लगाया जा सकता है। इसे प्रभाजी आसवन (Fractional Distillation) द्वारा कच्चे पेट्रोलियम को  विभिन्न क्वाथनांक ( Boiling Point) पर शुद्ध कर के जमा कर लिया जाता है। पेट्रोलियम को साफ कर के पेट्रोल, डीजल, ईंधन इत्यादि अन्य उपयोगी उत्पाद तैयार किया जाता है। इसका उपयोग मोटर तेल, परिवहन, बिजली उत्पाद, वायुयान और रासायनिक उद्योग इत्यादि में किया जाता है। भारत अपनी अवश्यकता का कुल 20% भाग ही उत्पाद करता है। भारत में 1956 में एकमात्र असम था, जहां तेल कुएं से तेल निकाला गया था, वर्तमान में भी वहां से निकाला जा रहा है। भारत में पेट्रोलियम उत्पादक राज्य गुजरात, असम, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश है। भारत में 1956 में तेल की खोज और उत्पादन, प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना के बाद शुरू हुआ। सार्वजनिक क्षेत्र की “ऑयल इंडिया लिमिटेड” दूसरी कंपनी बन गई।

कपड़ा उद्योग (Textile Industry)

भारत में कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला उद्योग कपड़ा उद्योग है, जिसका भारत में दूसरा स्थान है। यहां से कपड़ा भरी मात्रा में निर्यात किया जाता है। यह एक ऐसा उद्योग है, जो कच्चे माल से लेकर सिले सिलाए वस्त्र तक पूरी तरह आत्मनिर्भर है। यह श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है। भारत में वस्त्र उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल है। मुख्यताः मुंबई, अहमदाबाद, और कोयंबटूर जो भारत का प्रमुख निर्माता है। भारत में 1818 में प्रथम सूती वस्त्र मील कोलकाता में फोर्ट ग्लोस्टर में स्थापित की गई, जो असफल रहा 1854 में भारत की दूसरी मील बंबई स्पिनिंग एंड विविंग कंपनी KGN डाबर द्वारा स्थापित की गई जो सफल रहा।

रत्न एवं आभूषण उद्योग (Gems & Jewellery Industry)

वर्तमान में भारत का शीर्ष स्थान निर्यात वस्तुओं में रत्न एवं आभूषण उद्योग है। भारत एक ओर इन उद्योगों में प्रयोग होने वाले कच्चे माल का विदेशों से आयात करता है तो दूसरी ओर तैयार रत्न एवं आभूषण को निर्यात करने का काम कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा रत्नों के खनन में बढ़ावा देने वाले राज्य कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिसा इत्यादि। आंध्र प्रदेश में हीरों एवं कीमती खनिजों के जांच के लिए केंद्र सरकार ने  अनेक कंपनियों को अनुमति प्रदान की है। भारत का सर्वाधिक 70% रत्न एवं आभूषणों का निर्यात अमेरिका और यूरोपीय संघ को करता है। भारत को हीरे का अंतरराष्ट्रीय केंद्र, विदेशी व्यापार नीति के अनुसार स्थापित करने की योजना है।

चीनी उद्योग (Sugar Industry)

भारत में कपास के बाद चीनी दूसरा बड़ा कृषि आधारित उद्योग है। यह उद्योग श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है। भारत बड़ी संख्या में चीनी और गन्ना का व्यापार करती है। 1903 से भारत में चीनी उद्योग के विकास का प्रारंभ होता है, और 1931 तक 29 कारखाने स्थापित किए गए। चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और बिहार है। उत्तर प्रदेश में 116 कारखाने है, जो देश का प्रमुख उत्पादक राज्य है। बिहार में 29 मील, महाराष्ट्र में 143, तमिलनाडु में 37, आंध्र प्रदेश में 41कारखाने है। वर्तमान में चुकंदर से भी चीनी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। भारत में कुल चीनी मिलों की संख्या 2009 में 624 हो गई थी।

FAQ

Q. ऊनी वस्त्र का प्रथम कारखाना लाल इमली के नाम से कहां और कब स्थापित किया गया था ?

Ans. कानपुर, 1894 ईस्वी में।         

Q. भारत का तीसरा एल्यूमीनियम कारखाना कब और किसके सहयोग से स्थापित किया गया था ?

Ans. 1958 में अमेरिका के सहयोग से।  

Q. भारत का सबसे बड़ा उद्योग कौन सा है?

Ans: भारत का सबसे बड़ा उद्योग कपड़े का है। 

Q. भारत में कौन कौन से उद्योग हैं?

Ans: भारत के प्रमुख उद्योग लौह-इस्पात, जलयान निर्माण, मोटर वाहन, साइकिल, सूतीवस्त्र, ऊनी वस्त्र, रेशमी वस्त्र, वायुयान, उर्वरक, दवाएं एवं औषधियां, रेलवे इंजन, रेल के डिब्बे, जूट, काग़ज़, चीनी, सीमेण्ट, मत्स्ययन, चमड़ा उद्योग, शीशा, भारी एवं हल्के रासायनिक उद्योग तथा रबड़ उद्योग हैं।

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